MP Village Name Change: मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने 54 गांवों के नाम बदलने की घोषणा की है. सीएम मोहन यादव ने देवास जिले के कार्यक्रम में इसका ऐलान किया. लोकल 18 ने ग्रामीणों से राय ली, जिसमें कुछ ने विकास को अधिक जरूरी बताया. इससे पहले जनवरी में 14 गांवों के नाम बदले गए थे. from मध्य प्रदेश News in Hindi, मध्य प्रदेश Latest News, मध्य प्रदेश News https://ift.tt/Fj3AU24
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नागपुर साल 2019 में भारत ने 110 बाघ खो दिए। इसमें से एक तिहाई बाघ की चपेट में आए। एनजीए वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीएसआई) के मुताबिक, साल भर में 491 तेंदुओं की जान गई। साल 2018 में 34 बाघों की जान शिकार के चलते गई थी। यह संख्या साल 2019 में लगभग 38 के करीब पहुंच गई। साल 2018 की तुलना में तेंदुओं की मौत की संख्या थोड़ी सी कम रही। 2018 में कुल 500 तेंदुओं की मौत हुई थी। सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि ज्यादातर तेंदुओं की मौत सड़क और रेल हादसों में हुई है। डब्ल्यूपीएसआई के मुताबिक, एक तिहाई तेंदुओं की जान इन हादसों की की वजह से गई है। बता दें कि डब्ल्यूपीएआई बाघ, तेंदुआ, चीता और शेर की संख्या की गणना पर काम काम करता है। सड़क और रेल हादसों में भी जान गंवा रहे बाघ और तेंदुआ 2018 की तुलना में बाघों की मौत की संख्या में मामूली इजाफा हुआ है। 2018 में जहां 104 बाघों की मौत हुई थी, वहीं 2019 में 110 बाघों की जान गई। इस मामले में डब्ल्यूपीएसआई के सेंट्रल इंडिया डायरेक्टर नितिन देसाई ने कहा, 'इन आंकड़ों को लेकर कोई सामान्य अनुमान नहीं लगाया जा सकता। हर जगह की अपनी अलग परिस्थिति और समस्याएं हैं लेकिन हर जगह ये जानवर किसी ना किसी तरह मारे जा रहे हैं। बढ़ता ट्रैफिक और सड़कों का चौड़ा होना भी इसका एक कारण है।' डब्ल्यूपीएआई के मुताबिक, 2019 में मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 29 और महाराष्ट्र में 22 माघों की मौत हुई है। 2018 में भी मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 23 और महाराष्ट्र में 19 बाघ मारे गए थे। अधिकारी ने बताया कि जिन 110 बाघों की मौत हुई है, उनमें से 38 ऐसे हैं जो अवैध शिकार की चपेट में आए हैं। एनटीसीए के आंकड़ों में कम है मौतों की संख्या वहीं, नैशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में सिर्फ 92 बाघों की मौत हुई है। एनटीसीए के मुताबिक, 2018 में 102 बाघों की जान गई थी। डब्ल्यूपीएसआई के आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में 500 तेंदुओं की मौत हुई थी, जिसमें से 169 की जान अवैध शिकार में गई थी। वहीं, 2019 में सिर्फ महाराष्ट्र में 97 तेंदुओं की जान गई।
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